Tuesday, October 4, 2011

shor-e-dil


तर्ज़:- ज़रा सामने तो आओ छलिये, छुप-छुप छलने में क्या राज़ है  
शेराँ वाली है, माँ संसार दी, सारे जग दी है बिगड़ी सँवार दी |
हर इक दी सुने, फ़रियाद माँ, माँ मूरत है सच्चे प्यार दी ||   
दूर करे माँ, दुःख बच्चेयाँ दे, माँ दी शान निराली ऐ |
जो सुख देवे, दुःख हर लेवे, ओह माँ शेराँ वाली ऐ ||
माँ देंदी है सुख, दिल खोल के , कदे किसे नूँ वी न दुत्कारदी | 
हर इक दी सुने, फ़रियाद माँ, माँ मूरत है सच्चे प्यार दी || 
रिश्ते- नाते मतलब दे ने, हर पासे बदहाली ऐ |
जिस नूँ अपना कह सकदे हाँ, ओह माँ शेराँ वाली ऐ ||
सारी संगत है, अर्ज़ गुजार दी, कर बारिश माँ सब्र-औ-करार दी |
हर इक दी सुने, फ़रियाद माँ, माँ मूरत है सच्चे प्यार दी ||
माँ तेरे चरणा विच बह के, 'शशि' ने अर्ज़ सुनानी ऐ |
तेरी कृपा, तेरी रहमत नल, अपनी आस पुजानी ऐ ||
कर कृपा ते कष्ट मिटा मेरे, गल मन्न लै माँ भुल्लन हार दी ||
हर इक दी सुने, फ़रियाद माँ, माँ मूरत है सच्चे प्यार दी || 

 

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