स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
इक तिरंगा ही सभी का, मन-पसंद परिवेश है ||
भिन्न-भिन्न हैं प्रांत इसमें, भिन्न-भिन्न इसमें धर्म |
अनेकता मैं एकता का, जग को ये सन्देश है || स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
शान्ति का दूत जग मैं, पंचशील इसका नियम |
इसका जो संविधान है,सर्व-धर्म निरपेक्ष है || स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
सुबहें इसकी हैं सुहानीं, इसकी रातें हैं रंगीन |
जितने मौसम, मन लुभाने, इसके सब दरवेश हैं || स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
इसकी अलग पहचान है, जग में निराली शान है |
'मेरा भारत महान है, पलने न दे जो द्वेष है || स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |