Thursday, September 22, 2011

दोहे

गम मत कर,चाहे जगत में, होवे हार या जीत |
फानी यह संसार है, नफरत करो या प्रीत ||
खोजत-खोजत खो गए, जाने कितने लोग |
भूल गए इस कथन को, मन जीते-जग जीत ||

Wednesday, September 14, 2011


हिंदी प्रसार
है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |
हिंदी के दीप से ही, सम्भव है उजियारा ||
हमें मात्रभाषा को ही, है बनाना राष्ट्र- भाषा |
इससे ही बढ सकेगी, साक्षरता  की आशा ||
हिंदी में काम करना, हमें चाहिए अब सारा ||है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |
हिंदी सी मधुर वाणी, नहीं विश्व में है कोई |  
हिंदी ने अपनी शोभा, नहीं आज-तक है खोई ||
हिंदी में ही रचित है, इतिहास सब हमारा | है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |
हिंदी कि शान अपनी, हिंदी है जान अपनी |
हिंदी से ही बनेगी, जग में पहचान अपनी ||
हिंदी सी सरल भाषा, बने सब का ही सहारा |  है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |
देखें आकाश-गंगा, भाषाओं की बनी जो |
पाओगे भिन्न सबसे, हिंदी की ही छवि को ||
हिंदी 'शशि' है नभ में, भाषाएँ सब है तारा | है लक्ष्य यह हमारा, हिंदी का हो पसारा |

हिंदी-दिवस
               

हिंदी-दिवस मनाना, है असल में बहाना |
इसके बज़ट से सत्ता, को ज़श्न है मनाना || 
सालों से आज-तक हम, ये दिन मना रहे हैं |
हर साल आंकड़ों को, ऊँचा दिखा रहे है ||
सच क्या है कौन जाने, है झूठ का ज़माना |
सब लीडरों के बच्चे, अंग्रेजी पढ़ रहे हैं | 
हिंदी है मात्र-भाषा, फिर भी वो अड़ रहे हैं ||
'शशि', चाहते हैं हिंदी,की वो छवि घटाना |

Monday, September 12, 2011

shor-e-dil

आसमाँ पे ईश्वर, धरती पे माँ-बाप |
झेलें जो, संतान की खातिर सब संताप || 
इश, गुरु, माँ-बाप की, ले-ले जो आशीष |
उसकी तीनो लोक में, न होवे तफ्तीश ||

Friday, September 9, 2011

मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ



मैं कैसे कहूँ की मैं क्या चाहता हूँ |
सिर्फ आदमी मैं बना चाहता हूँ ||
ज़माने को देना बता चाहता हूँ |  
ज़मीं को मैं ज़न्नत-नुमाँ चाहता हूँ ||  मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ |
तवक्को  से बहतर ज़हाँ चाहता हूँ |
निगाहों में, आब-ऐ-हया चाहता हूँ ||
हर इक दिल में, खौफ-ऐ-खुदा चाहता हूँ |
अमन की मैं हर-सू फिजा चाहता हूँ || मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ |
न उल्फत का अपनी सिला चाहता हूँ |
न करना ज़ुबां से, गिला चाहता हूँ ||
मैं हर दिल को, गुल सा, खिला चाहता हूँ |
मैं खुद को, खुदा से मिला चाहता हूँ ||मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ |
न नफरत का नाम-ओ-निशाँ चाहता हूँ |
ज़माने का रब्ब से, भला चाहता हूँ ||
मैं हर लब पे, हर पल, दुआ चाहता हूँ |
खुदा न सही, नाखुदा चाहता हूँ ||मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ |
किसी से न होना, खफा चाहता हूँ |
हर इक दिल में रहना बसा चाहता हूँ ||
खुदा से कहूँ , शुक्रिया, चाहता हूँ |
मैं रस्ते का बनना, दिया चाहता हूँ ||  मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ 

मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ


मैं कैसे कहूँ की मैं क्या चाहता हूँ |
सिर्फ आदमी मैं बना चाहता हूँ ||
ज़माने को देना बता चाहता हूँ |  


तवक्को  से बहतर ज़हाँ चाहता हूँ |
ज़मीं को मैं ज़न्नत-नुमाँ चाहता हूँ ||  मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ |
निगाहों में, आब-ऐ-हया चाहता हूँ ||
हर इक दिल में, खौफ-ऐ-खुदा चाहता हूँ |
अमन की मैं हर-सू फिजा चाहता हूँ || मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ |
न उल्फत का अपनी सिला चाहता हूँ |
न करना ज़ुबां से, गिला चाहता हूँ ||
मैं हर दिल को, गुल सा, खिला चाहता हूँ |
मैं खुद को, खुदा से मिला चाहता हूँ ||मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ |
न नफरत का नाम-ओ-निशाँ चाहता हूँ |
ज़माने का रब्ब से, भला चाहता हूँ ||
मैं हर लब पे, हर पल, दुआ चाहता हूँ |
खुदा न सही, नाखुदा चाहता हूँ ||मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ |
किसी से न होना, खफा चाहता हूँ |
हर इक दिल में रहना बसा चाहता हूँ ||
खुदा से कहूँ , शुक्रिया, चाहता हूँ |
मैं रस्ते का बनना, दिया चाहता हूँ ||  मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ