Monday, January 30, 2012

जिसने हाथों पे यकीं रक्खा, सिकंदर निकला ||

लोग हाथों कि लकीरों पे यकीं करते हैं |
जिसने हाथों पे यकीं रक्खा, सिकंदर निकला ||
जिसे यकीन हो खुद पर, कभी नहीं कहता |
बुरे नसीब कि बाईस , बुरा सफ़र निकला ||
नहीं नसीब हुआ, साया मुझको, अपनों का |
उनसे बहतर, मेरा हमदर्द, इक शज्र निकला ||
ता-उम्र जिसकी, खुदा जान के इबादत की | 
वो नाखुदा भी नहीं, मुझसा ही बशर निकला ||
थी जिस से मिलने की, शिद्दत से आरजू दिल में |
'शशि' का था वो तख्ख्यल , वो हमसफ़र निकला ||  

Friday, January 13, 2012


एक भेंट माँ के नाम  
तर्ज़:-  शराब चीज़ ही ऐसी है, न छोड़ी जाए 

भवानी दर पे तुम्हारे, जो सर झुकाए |
मुराद उसकी हो पूरी, यो मुस्कराए ||
किसी की बिगड़ी, माँ पल में, सँवार देती है | 
अगर यकीं से वो, दर माँ के आये ||
तुम्हारे दर से कोई, ना उम्मीद न लौटे |
कमाल रस्म यहाँ की, ज़हाँ बताये ||
कोई भी राज़ नहीं राज़, माँ भवानी से |
हमारे दिल की खबर, माँ से छुप न पाये ||
उसे मिलेगा, जो दामन यहाँ, पसारेगा |
'शशि' वो हाथ मलेगा, जो कह न पाये ||

Saturday, January 7, 2012

भक्ति गीत तर्ज :- प्रभु आप की कृपा से, सब काम हो रहा है |


सुन्दर छवि तुम्हारी नैनों मे बस गई है |
बिरह की फाँस कब की, इस दिल मे फस गई है ||
जब तक था दूर तुझसे, जब तक मिला नही था |
तुझसे न थी मुहब्बत, तुझसे गिला नही था ||
दर्शन तेरे को मेरी,यह नज़र तरस गई है || सुन्दर छवि तुम्हारी नैनों मे बस गई है |
मिलना है कैसे मुमकिन, इतना ज़रा बता  दे |
रह्ता है जिस जगह तू, उसका पता बता दे ||
तेरी प्रीत बन के नागिन, मुझे कब की डस गई है ||  सुन्दर छवि तुम्हारी नैनों मे बस गई है |
मुझे हो गया यकीं है, की तेरी दया, दवा है |
इस बात की खुशी है, की तू मुझपे मह्र्बां है ||
यूं लगे तुम्हारी रहमत, मुझ पेर बरस गई है || सुन्दर छवि तुम्हारी नैनों मे बस गई है |

Wednesday, January 4, 2012

एक फ़रियाद, माँ के दरबार में ;-



तर्ज :- सो बर ज़न्म लेंगे, सो बर फना हओंगे  
इक बार चले आओ, अब और न तडपाओ |
दर्शन ज़रा दिखलाओ, फ़रियाद न ठुकराओ ||
रस्ता तेरा ताकता हूँ, सोता हूँ न जगता हूँ |
दिन रात तड़पता हूँ, दर्शन को तरसता हूँ ||
दर्शन दिखला जाओ, अब और न..............
इंसान बेचारा हूँ, तकदीर का मारा हूँ |
मैं दास तुम्हारा हूँ, संसार से हारा हूँ ||
करूणा दिखला जाओ, अब और न .............
तेरी शान निराली है, झोली मेरी खाली है |
नादान रहा बरसों, अब होश संभाली है ||
दामन मेरा भर जाओ, अब और न ...........
'शशि; शीश झुकाता है, आवाज़ लगाता है |
महिमा तेरी गाता है, लोगों को सुनाता है ||

भक्ति गीत तर्ज;- मेरे महबूब न जा, आज की रात न जा


दे बता, अपना पता | न मुझे और सता || 
बख्श दे मेरी खता | चैन कर मुझको अता ||
क्या कहूँ, किस तरह बसर की है | 
तुझको अपनी सदा, खबर दी है ||
थोडी कदमां दे विच, जगाह दे-दे | 
दे गुनाहा दी, माँ सजा दे-दे || दे बता, अपना पता | न मुझे और सता ||
तूं  वली हैं, तूं जग दी वाली हैं |
 माँ तूं खुशियाँ लुटान वाली हैं || 
तेरी  शक्ति मेरा सहारा ए | 
तेरी बख्शिश मेरा गुजारा है || दे बता, अपना पता | न मुझे और सता ||
दूर दुख-दर्द सबके करती है |
 पार सबको भंवर से करती है ||
सीस  दर ते 'शशी' झुकान्दा ए |
तेरी शक्ति दी महिमा गान्दा ए || दे बता, अपना पता | न मुझे और सता ||