कबूल मेरी दुआओं के फूल फरमाएं ।
ईद है आज, मुबारक काबुल फरमाएं ।। 'शशि' ईद मुबारक
मौला उनको, ताकीद दी जाये ।
मुझको ईदी में, दीद दी जाये ।। 'शशि' ईद मुबारक
ईद के दिन, उम्मीद रहती है ।
उनसे मिलने की, कम जो मिलते हैं ।। 'शशि' ईद मुबारक
ईद आई है, आप भी आइये ।
ईद कब रोज़-रोज़, आती है ।। 'शशि' ईद मुबारक
ईद है आज, मुबारक काबुल फरमाएं ।। 'शशि' ईद मुबारक
मौला उनको, ताकीद दी जाये ।
मुझको ईदी में, दीद दी जाये ।। 'शशि' ईद मुबारक
ईद के दिन, उम्मीद रहती है ।
उनसे मिलने की, कम जो मिलते हैं ।। 'शशि' ईद मुबारक
ईद आई है, आप भी आइये ।
ईद कब रोज़-रोज़, आती है ।। 'शशि' ईद मुबारक
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