ऐसा बंदा, इस जहाँ में, भेज दे मेरे ख़ुदा ।
जिसको हर मजबूर समझे अपनी बाहों की तरह ।।
ایسا بندہ اس جہان میں بھیج دے میرے خدا
جسکو ہر مجبور سمجھے اپنی بانہوں کی طرح
ये नहीं कि ज़िन्दगी अच्छी नहीं ।
हद से ज़्यादा सादगी अच्छी नहीं ।।
इश्क़ जीने पर करे मजबूर है ।
कैसे कह दें आशिक़ी अच्छी नहीं ।।
आइये कुछ प्यार की बातें करें ।
बे वजह संजीदगी अच्छी नहीं ।।
याद रखना एक दिन पछताओगे ।
मूर्खों से दोस्ती अच्छी नहीं ।।
आप हक़ से हक़ सदा माँगा करे ।
इस क़दर बेचारगी अच्छी नहीं ।।
दोस्तों बिन हर ख़ुशी बेकार है ।
दोस्तों से बेरुख़ी अच्छी नहीं ।।
गर भुलाने हैं 'शशी' दुनिया के ग़म ।
बन्दगी से मयकशी अच्छी नहीं ।।