Shoredil
Saturday, January 15, 2011
वलवले
पानी बने और बह गए, आँखों से, जो थे ख्वाब !
जब, तल्खिये हयात से, दो-चार हो गये !!
मंजिल करीब आई तो, हालात यूँ बने !
मंजिल की और जाने से, लाचार हो गये !!
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