Wednesday, August 17, 2011

हमारा देश


 स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
इक तिरंगा ही सभी का, मन-पसंद परिवेश है ||
भिन्न-भिन्न हैं प्रांत इसमें, भिन्न-भिन्न इसमें धर्म |
अनेकता मैं एकता का, जग को ये सन्देश है || स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
शान्ति का दूत जग मैं, पंचशील इसका नियम | 
इसका जो संविधान है,सर्व-धर्म निरपेक्ष है || स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
 सुबहें इसकी हैं सुहानीं, इसकी रातें हैं रंगीन |
जितने मौसम, मन लुभाने, इसके सब दरवेश हैं || स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
इसकी अलग पहचान है, जग में निराली शान है |
'मेरा भारत महान है, पलने न दे जो द्वेष है || स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है | 
    

2 comments:

  1. Shashi Sahab.. Pahli baar aapki blog par aaya.. laga ki aapka saath mere liye jaroori hai.. follow kar raha hun.. Badhai aapki rachnaon ke liye..

    ReplyDelete
  2. लेकिन आजकल जन लोकपाल बिल की ज़बरदस्त हलचल है.

    ReplyDelete