Thursday, September 22, 2011

दोहे

गम मत कर,चाहे जगत में, होवे हार या जीत |
फानी यह संसार है, नफरत करो या प्रीत ||
खोजत-खोजत खो गए, जाने कितने लोग |
भूल गए इस कथन को, मन जीते-जग जीत ||

2 comments:

  1. वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी,शशि भाई.

    वास्तव में भूल गए हैं इस कथन को कि

    'मन जीते-जग जीत'

    मेरे ब्लॉग पर आकर सुन्दर भक्तिमय
    गीतों से आपने निहाल कर दिया है मुझे.
    बहुत बहुत शुक्रिया आपका.

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  2. वाह, क्या बात कही है.

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