Wednesday, February 9, 2011

शोर-ए-दिल

हम जिन्हें, भूल  तक नहीं पाये  !
वो कभी, ख्वाब में, नहीं आये  !!
याद ताज़ा है, गो हुई मुद्दत १
दूरीयाँ, दूर, कर नहीं पाये !!
दिल इसी खौफ, से परेशां है १
आस की डोर, टूट न जाए !!
साथ सदियों का है, जो कहते थे !
दो कदम साथ, चल नहीं पाये !!
क्या करें, कुछ, समझ नहीं आता !
दिल 'शशि' किस तरह से, बहलायें !!   

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