Shoredil
Sunday, February 20, 2011
वलवले
जिसकी सूरत दिल-ए-तस्कीन का बाईस यही कभी !
उसकी आवाज़ भी, सुनने को तरस जाते हैं !!
खुद को ले जाते हैं, यादों की हसीं वादी में !!
दिल को, इस तरह से, हम, इन दिनों बहलाते हैं !!
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