Wednesday, January 4, 2012

एक फ़रियाद, माँ के दरबार में ;-



तर्ज :- सो बर ज़न्म लेंगे, सो बर फना हओंगे  
इक बार चले आओ, अब और न तडपाओ |
दर्शन ज़रा दिखलाओ, फ़रियाद न ठुकराओ ||
रस्ता तेरा ताकता हूँ, सोता हूँ न जगता हूँ |
दिन रात तड़पता हूँ, दर्शन को तरसता हूँ ||
दर्शन दिखला जाओ, अब और न..............
इंसान बेचारा हूँ, तकदीर का मारा हूँ |
मैं दास तुम्हारा हूँ, संसार से हारा हूँ ||
करूणा दिखला जाओ, अब और न .............
तेरी शान निराली है, झोली मेरी खाली है |
नादान रहा बरसों, अब होश संभाली है ||
दामन मेरा भर जाओ, अब और न ...........
'शशि; शीश झुकाता है, आवाज़ लगाता है |
महिमा तेरी गाता है, लोगों को सुनाता है ||

1 comment:

  1. मेरे नए पोस्ट "तुझे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete