Saturday, May 21, 2011

वलवले


देख के जब, हालात ज़हाँ के, मैं घर आता हूँ |
अपनों में भी, अपने को मैं, तन्हा पाता हूँ ||
रिश्तों की असलियत जब से, सामने आई है |
रिश्ते नए बनाने से भी, मैं कतराता हूँ ||  

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