Sunday, May 8, 2011

खुद को खुद, बहला लेता हूँ | 
अपना काम चला लेता हूँ ||
ज़ख्म तो क्या नासूर भी दिल के | 
प्यार से में सहला लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
भूलीं-बिसरीं यादों को में |
अपने पास बुला लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
हँस के अपने अश्कों को में |
पलकों बीच, छुपा लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
देख के अपनी हालत खुद ही |
अपने पे मुस्का लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
खाकर चोट 'शशि' कहता है |
नगमा एक बना लेता हूँ ||   अपना काम चला लेता हूँ ||

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