Sunday, December 5, 2010

वलवले

वीराँ नहीं जो लग रहा वीरान बहुत है !
इस दिल में, हसरतों के ही, श्मशान बहुत हैं !!
दिल पर ज़माने यह तेरा, एहसान बहुत है !
खुशियाँ बराए नाम, गम महमान बहुत हैं !!
जज्बों के दिल में उठ रहे, तूफ़ान बहुत हैं !
जो तोड़ते हैं दिल को, वो नादान बहुत हैं !!
सच यह नहीं कि, बस्तियों में जान बहुत है !
गर्दिश में लगतीं बस्तियां, वीरान बहुत हैं !!
बनता 'शशि' हालात से अनजान बहुत है !
वो दिल ही दिल में रहता, परेशान बहुत है !!

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