Thursday, December 30, 2010

नव-वर्ष

कबूल, मेरी दुआओं के, फूल फरमाएं !
नए बरस की मुबारक काबुल फरमाएं !!

आना नए-बरस का, हो आपको मुबारक !
हर दिन हो, ईद जैसा, हर रात हो दीवाली !!

नए-बरस से उमीदें नई-नई रखना !
नए-बरस में, नया कुछ ज़रूर होता है !!

नए-बरस में हो, खुशियों की आप पर बारिश !
खुदा से, अब के बरस, बस यही गुजारिश है !!    

नया-नया सा लगे, यह तो ऐन मुमकिन है !
नया, नया ही लगे, यह कहाँ ज़रूरी है !!

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