Wednesday, December 8, 2010

भूख

भूख बागी है, भूख लानत है ! जिंदगी भूख की अमानत है !!
भूख बढती ही है, बढाने से !  इसको बढ़ने न दो बहाने से !!
भूख बर्दाश्त जो नहीं होती ! इसमें कुव्वत ही वो नहीं होती !!
भूख दौलत की, खा गयी अस्मत ! भूख शोहरत की खा गयी, इज्ज़त !!
भूख इंसानियत की, दुश्मन है ! भूख से ही, बिगड़ते बंधन हैं !!
भूख पैदा करे है, पापों को ! भूख, सुनाने न दे आलापों को !!
भूख बहरा बनाये, बन्दों को ! भूख बे-खौफ खाये चंदों को !!
भूख शैतान की भी खाला है ! जिसने उलझन में सबको डाला है !!

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