Shoredil
Friday, March 18, 2011
वलवले
जीने का लालच आ गया, फिर से दिमाग में |
पंचम कोई लगा गया, विरहा के राग में ||
कट रही थी ज़िन्दगी, बनके सजा, खता बिना |
इसको हसीं बना दिया, सावन ने, फाग ने ||
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