नारी में गर जीभ न होती ! दुनिया बे-तरतीब न होती !!
याद करो, आदि से अब तक ! नारी जब भी, कुछ बोली है !!
धरती पे कुछ अजाब घटा है ! खून की जग, खेला होली है !!
कोई जंग नसीब न होती ! नारी में गर जीभ न होती ! दुनिया बे-तरतीब न होती !!
सतयुग में, रावण जैसे को ! वाक-बाण सीता ने मारे !
द्वापर में भी, बीच सभा के ! पंचाली, दुर्योधन ललकारे !!
सूरत कोई अजीब न होती ! नारी में गर जीभ न होती ! दुनिया बे-तरतीब न होती !!
( भगवान् की कोई भूल ब्याँ करने की छोटी सी कोशिश की है ! आप अपनी राय दे सकते हैं ! )
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