Thursday, March 17, 2011

वलवले

बाद मुद्दत के,अचानक जब मिले !
लाझ चाहा, लब न थे लेकिन हिले !!
दो दिलों की, गुफ्तगू  होने लगी !
आँखों- आँखों ने, किये शिकवे-गिले !! 
देखने वाला, था इक, मंजर बना !
दरम्याँ थे, दो दश्क के फासले !!
किस कदर गुजरी, नहीं पूछा गया ! 
क्या हुआ, यादों के जो थे काफिले !!
साफ उनसे क्यूँ नहीं कहते 'शशि' !
थे जहाँ बिछड़े, वहीँ पर है मिले !!    

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