Shoredil
Saturday, March 19, 2011
फाल्गुन की पुरवाई बोली | आई होली आयी होली ||
रूठे हुओं को रंग लगा कर| फिर से बन जाओ हमजोली ||
खुशियाँ बिखरीं जब अपनों ने |रंगों की पिचकारी खोली ||
रंगों की रंगोली बोली |आई होली, आई होली ||
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