Sunday, April 10, 2011

वलवले, एक भेंट;- सौ बार जानम लेंगे की तर्ज़ या होंठो से छू लो तुम की तर्ज़ पर गाया जा सकता है ;-

एक फ़रियाद, माँ के दरबार में ;-
इक बार चले आओ, अब और न तडपाओ |
दर्शन ज़रा दिखलाओ, फ़रियाद न ठुकराओ ||
रस्ता तेरा ताकता हूँ, सोता हूँ न जगता हूँ |
दिन रात तड़पता हूँ, दर्शन को तरसता हूँ ||
दर्शन दिखला जाओ, अब और न..............
इंसान बेचारा हूँ, तकदीर का मारा हूँ |
मैं दास तुम्हारा हूँ, संसार से हारा हूँ ||
करूणा दिखला जाओ, अब और न .............
तेरी शान निराली है, झोली मेरी खाली है |
नादान रहा बरसों, अब होश संभाली है ||
दामन मेरा भर जाओ, अब और न ...........
'शशि; शीश झुकाता है, आवाज़ लगाता है |
महिमा तेरी गाता है, लोगों को सुनाता है ||
आ जाओ, अब आ जाओ, अब और न ........  

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