यह चक्कर क्या है, कि चक्कर समय का |
चला रहता है, यह थमता नहीं है ||
चला रहता है, यह थमता नहीं है ||
बुढापा इस कदर, हावी हुआ है |
जो पच जाता था, अब पचता नहीं है ||
मेरे ज़ख्मों पे, मरहम मत लगाओ |
अब इससे भी तो, कुछ बनता नहीं है ||
बहुत मांगीं दुआएँ, थक गया हूँ |
दुआओं में असर, लगता नहीं है ||
वो, है तो साँप, पर आदत है उसकी |
डराता है सिर्फ, डंसता नहीं है ||
हमें लगता था, कि वह हस रहा है |
अस्ल मैं जो कभी, हँसता नहीं है ||
हुआ करती थी इक, बस्ती यहाँ पर |
कोई जिसका निशाँ, मिलता नहीं है ||
वाह,बहुत खूब.
ReplyDelete