Thursday, December 30, 2010

नव-वर्ष

कबूल, मेरी दुआओं के, फूल फरमाएं !
नए बरस की मुबारक काबुल फरमाएं !!

आना नए-बरस का, हो आपको मुबारक !
हर दिन हो, ईद जैसा, हर रात हो दीवाली !!

नए-बरस से उमीदें नई-नई रखना !
नए-बरस में, नया कुछ ज़रूर होता है !!

नए-बरस में हो, खुशियों की आप पर बारिश !
खुदा से, अब के बरस, बस यही गुजारिश है !!    

नया-नया सा लगे, यह तो ऐन मुमकिन है !
नया, नया ही लगे, यह कहाँ ज़रूरी है !!

Friday, December 10, 2010

वलवले

बहुत मायूस हूँ और थक चुका  हूँ !गिरने वाला हूँ शायद पाक चुका  हूँ !!
बहुत देखी है,  मैंने राह तेरी ! कलेजे पर  मैं,  पत्थर रख चुका  हूँ !!
नहीं बस में मेरे तुझको भुलाना ! मज़ा उल्फत का तेरी चख चुका हूँ !!
कहूँ क्या हाल है, तुझसे  बिछुड़ के ! मैं अपने ज़ख्म सारे ढक चुका हूँ !!
न जाने क्यूँ ये साँसे चल रहीं हैं ! जहाँ को अपनी आँखों तक चुका हूँ !!
'शशि' की आह निकली बे-असर ही ! नमाजें की हैं, रोज़े रख चुका हूँ !!

Thursday, December 9, 2010

वलवले

बहुत रिश्तों को, शर्मिंदा किया है ! सिर्फ नफरत को ही, जिंदा किया है !!
न जाने किस वहम से दर गया वो ! किया कब, सबका पसंदीदा किया है !!
अकाल से कम लो, गैरत से पूछो ! किया अच्छा है, या गन्दा किया है !!
बहुत खुदगर्ज़ हो,और बे-हया हो ! किया जो कुछ भी है, मंदा किया है !!
नहीं होगा नफा, नुक्सान होगा ! यह किसकी अकाल से, धंधा किया है !!
'शशि' को ठीक ही कहती है दुनियाँ ! तुझे ज़ज्बात ने, अँधा किया है !!

Wednesday, December 8, 2010

भूख

भूख बागी है, भूख लानत है ! जिंदगी भूख की अमानत है !!
भूख बढती ही है, बढाने से !  इसको बढ़ने न दो बहाने से !!
भूख बर्दाश्त जो नहीं होती ! इसमें कुव्वत ही वो नहीं होती !!
भूख दौलत की, खा गयी अस्मत ! भूख शोहरत की खा गयी, इज्ज़त !!
भूख इंसानियत की, दुश्मन है ! भूख से ही, बिगड़ते बंधन हैं !!
भूख पैदा करे है, पापों को ! भूख, सुनाने न दे आलापों को !!
भूख बहरा बनाये, बन्दों को ! भूख बे-खौफ खाये चंदों को !!
भूख शैतान की भी खाला है ! जिसने उलझन में सबको डाला है !!

Tuesday, December 7, 2010

वलवले

जब दूर थे, तो मिल लिया, करते थे ख्वाब में !
अब साथ हैं तो, पास से, मिलना मुहाल है !!
गुजरे जो दिन फ़िराक के, वो थे कमाल के !
है आज-कल जो हाल, वो किस्मत की चाल है !!

जब पास थे तो, प्यार की न कद्र कर सके !
अब दूर हैं तो, प्यार को पाने की प्यास है !!

Sunday, December 5, 2010

वलवले

वीराँ नहीं जो लग रहा वीरान बहुत है !
इस दिल में, हसरतों के ही, श्मशान बहुत हैं !!
दिल पर ज़माने यह तेरा, एहसान बहुत है !
खुशियाँ बराए नाम, गम महमान बहुत हैं !!
जज्बों के दिल में उठ रहे, तूफ़ान बहुत हैं !
जो तोड़ते हैं दिल को, वो नादान बहुत हैं !!
सच यह नहीं कि, बस्तियों में जान बहुत है !
गर्दिश में लगतीं बस्तियां, वीरान बहुत हैं !!
बनता 'शशि' हालात से अनजान बहुत है !
वो दिल ही दिल में रहता, परेशान बहुत है !!

Thursday, December 2, 2010

शोर-ऐ-दिल

मुश्किलों के दरम्याँ भी, मुस्कुरा लेते हैं वो  !
ना-उम्मीदों को,हमेशां, होंसला देते हैं वो  !!
उनके बारे में है कहना, आज बस इतना मुझे !
बातों-बातों में, कला जीने की सिखला देते है वो !!