Wednesday, February 3, 2021

उसको इस ख़ौफ़ ने रह रह के डराया होगा

 उसको इस ख़ौफ़ ने रह रह  के डराया होगा ।

आज लगता है जो अपना सा पराया होगा ।।

वो जो कहता है मुझे नींद नही आती है ।

ख़्वाब आँखों से मेरी उसने चुराया होगा ।

अपनी हर बात जो दावे से कहा करता है । 

ये हुनर उसको ज़माने ने सिखाया होगा ।

Wednesday, January 27, 2021

 ऐसा बंदा, इस जहाँ में, भेज दे मेरे ख़ुदा ।

जिसको हर मजबूर समझे अपनी बाहों की तरह ।।

ایسا بندہ اس جہان میں بھیج دے میرے خدا

جسکو ہر مجبور سمجھے اپنی بانہوں کی طرح 

नहीं कि ज़िन्दगी अच्छी नहीं ।

 ये नहीं कि ज़िन्दगी अच्छी नहीं ।

हद से ज़्यादा सादगी अच्छी नहीं ।।

इश्क़ जीने पर करे मजबूर है ।

कैसे कह दें आशिक़ी अच्छी नहीं ।।

आइये कुछ प्यार की बातें करें ।

बे वजह संजीदगी अच्छी नहीं ।।

याद रखना एक दिन पछताओगे ।

मूर्खों से दोस्ती अच्छी नहीं  ।।

आप हक़ से हक़ सदा माँगा करे ।

इस क़दर बेचारगी अच्छी नहीं ।।

दोस्तों बिन हर ख़ुशी बेकार है ।

दोस्तों से बेरुख़ी अच्छी नहीं ।।

गर भुलाने हैं 'शशी' दुनिया के ग़म ।

बन्दगी से मयकशी अच्छी नहीं ।।

Saturday, November 24, 2012

माँ भवानी की स्तुति ---------- गा के देखें

माँ भवानी की स्तुति ---------- गा के देखें

तर्ज़ – ओ दूर के मुसाफिर, हमको भी साथ ले-ले
दर पे तेरे भवानी, संसार सर झुकाये, मांगी मुरादें पाये |
तेरे करम को अम्बे, कैसे कोई भुलाए, सुख-चैन तू लुटाये ||
1 जिसने तुझे पुकारा, तूने दिया सहारा |
  बिगड़ी बनाए सबकी, तेरी आरी आँख का इशारा ||
  दुनियाँ को है पता ये, तू जल्दी मान जाये,सुख-चैन तू लुटाये |
2 डूबे है जब भी नैया, बन जाए तू खवैया |
  मुश्किल मे इस लिए सब, तुझको पुकारे मैया ||
  संसार की हकीकत, क्यूँ न समझ में आए, सुख-चैन तू लुटाये |
3 शक्ति तुम्हारी भक्ति, जग से दिलाये मुक्ति |
   तेरा नाम इक कवच है, तेरा ही नाम युक्ति ||
   पगडंडिया बहुत हैं, बंदा भटक न जाए, सुख-चैन तू लुटाये |
4  क्या खूब ये सफर है, रहता हमेशा डर है |
   हर इक के दिल की दाती, रहती तुझे खबर है ||
   खुदगर्ज़ इस जहाँ में, कहीं खो शशि न जाए, सुख-चैन तू लुटाये |

माँ भवानी की स्तुति ---------- गा के देखें

माँ भवानी की स्तुति ---------- गा के देखें

तर्ज़ -  जो तुझको हो पसंद, वही बात करेंगे

तेरा ही नाम दूसरा, शाहों की शाह है |
तुझको भुला के, साँस भी, लेना गुनाह है ||
सर पर, तुम्हारे हाथ का, होना नसीब है |
तेरा हबीब, ना कभी, मिलता गरीब है ||
दर पर तुम्हारे आ रही, हर एक राह है | तुझको भुला के
तेरी दया की दास्ताँ, गाता जहान है |
सबसे निराली माँ तेरी, दुनियाँ में शान है ||
हर सू तुम्हारे नाम की, माँ वाह-वाह है | तुझको भुला के  
जिसको तुम्हारे नाम की, मस्ती की चाह है |
मिलता वही जहान में, माँ शहनशाह है ||
सब पर करम की माँ मेरी, करती निगाह है || तुझको भुला के
दर पर तुम्हारे आ गया, दुनियाँ से हर के |
खुदगर्ज़ इस जहान को, ठोकर पे मार के ||
दामन पसार के शशि’, मांगे पनाह है |  तुझको भुला के

Wednesday, October 10, 2012


अपने शिकस्ता हाल पर, रोने कि न फुर्सत मिली |
जीने के सब सामाँ मिले, दिल को मगर गुर्बत मिली ||
कहियेगा, इत्तिफाक ही, रोने-ओ-सोने के लिए |
यादों का है, तकिया मिला, अश्कों की इक चादर मिली ||  
खौफ-ऐ-रुसवाई से थे जो, काम छुप-छुप के किये |
उनकी बाईस, आज हमको, खूब है शोहरत मिली ||
ज़िन्दगी के मायने, इतने ही बस समझा 'शशि' |
सिर्फ नेकी के लिए ही, है तुम्हें मोहलत मिली ||

Monday, October 1, 2012