Monday, September 12, 2011

shor-e-dil

आसमाँ पे ईश्वर, धरती पे माँ-बाप |
झेलें जो, संतान की खातिर सब संताप || 
इश, गुरु, माँ-बाप की, ले-ले जो आशीष |
उसकी तीनो लोक में, न होवे तफ्तीश ||

2 comments:

  1. अनुपम प्रस्तुति,शशि जी.
    सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.
    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    आपका हार्दिक स्वागत है.

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  2. Bahut hi prerak prastuti shashi saahab.. Aabhar..

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