Saturday, June 4, 2011

शोर-ए-दिल

खौफ अब, हर ख़ुशी से आता है |
मेरा माझी, मुझे डराता है ||
लम्हा-लम्हा, ये ज़िन्दगी जी है |
लम्हे-लम्हे का, अपना खाता है ||
जो भी मुश्किल से, याद करता हूँ |
वो आसानी से, भूल जाता है ||
जिससे तस्कीन की, तवक्को हो |
वो ही तकलीफ, दे के जाता है ||
याद करता, हूँ जब रकीबों को | 
नाम लब पे, तुम्हारा आता है ||
दिल बना है, न जाने किस शेय का |
खूब रोता है, खूब गाता है ||
मौसमों का अजीब आलम है |
एक जाता है, एक आता है ||
सोच कर क्या, 'शशि' खुदा आखिर |
खुद बनाता है, खुद मिटाता है ||

  

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