Sunday, June 19, 2011

वलवले

गमें-दौराँ में जीने की, आरजू लेकर |
कहाँ-कहाँ न गए, शोर-ए-दिल की बू लेकर || 
था जिन पे नाज़, सहारा बनेंगे, मुश्किल में |
बहुत निराश हुए, उनसे, रुबरु होकर ||
मिला न कोई, खरीदार, मेरी  हस्ती का | 
किया ज़मीर को ज़ख़्मी है, आबरू खोकर ||
'शशि' न सीख, ज़माने से, बेवफा होना |
नहीं मिलेगा सुकूँ, उस सा हुबहू होकर ||  
 

No comments:

Post a Comment