Thursday, June 9, 2011

वलवले


अपने ख्याल में, वो मुझे मात दे गया |
सावन वो मेरी आँख को, सौगात दे गया ||
एहसान कर गया है, या खैरात दे गया |
जिसकी सुबह नहीं, मुझे वो रात दे गया ||
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मेरी आँखों के सावन से, तो अब सावन भी डरता है |
इन्हें बरसों बरसना है, वो कुछ अर्सा बरसता है ||
बहुत ही  क्म, फर्क पाया, मेरी आँखों ने दोनों में |
ये इक रफ़्तार से बरसे, वो थम-थम के, बरसता है ||
कभी सावन कि बारिश, हंसी में उससे मांगी थी |
मुक्कदर अब 'शशि' अक्सर, हंसी मेरी पे हँसता है || 

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