Sunday, June 12, 2011

वलवले

तवक्को न थी मुझको, ख्वाब में भी | मेरे अपने मुझे रुसवा करेंगे ||
खुदा से मौत मांगूँ, रात-दिन मैं | न सोचा था, वो कुछ ऐसा करेंगे ||

बड़ी मुश्किल से अब पाला पड़ा है | 
लबों पे शर्म का ताला पड़ा है ||
मेरे अपने मेरे दुश्मन हुए हैं | 
जो उजाला था, वो सब काला पड़ा है ||
नहीं मन चाहता है, कुछ  भी कहना |
लबों पे ज़ब्त का, ताला पड़ा है ||

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