बदल सकता है जो, दरिया के धारे |
मैं उस हस्ती का, लोहा मानता हूँ ||
सुना हर शैय में वो, ज़लवा-नुमाँ है |
मैं हर शैय को, खुदा ही जानता हूँ ||
न तेरी, शक्ल से वाकिफ, न दर से |
तेरे हर तौर को, पहचानता हूँ ||
खुदा हो, वाहेगुरु,ईश्वर या ईसा |
मैं सब में फर्क न कुछ, मानता हूँ ||
नहीं है नास्तिक, लगता है बेशक |
'शशि' को खूब मैं, पहचानता हूँ ||
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