Sunday, June 12, 2011

शोर-ए -दिल

आप की जाने की जिद ने, मुझको घायल कर दिया |
आप की बातों ने मुझको, खूब पागल कर दिया ||
नींद आँखों में नहीं है, चैन मेरा खो गया |
हद है तू मुझको जगा के, चैन से है सो गया ||
मुझको तेरी संग-दिली ने, अब तो कायल कर दिया |आप की जाने की जिद ने
है तम्मना ख्वाब तेरे, हाथ से पूरे करूँ |
मैं तुम्हारी, आस्तीं को, चाँद-तारों से भरूँ ||
हम हैं दुश्मन, क्यूँ भला, मन में वहम ये भर लिया | आप की जाने की जिद ने
तुमने शोहरत ही नहीं, इज्ज़त भी ली,अपनी बिगाड़ |
बे-शर्म बन के हो कहते, क्या कोई लेगा बिगाड़ ||
शर्म और लिहाज़, दोनों को, धरातल कर दिया |  आप की जाने की जिद ने



   

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