Tuesday, March 1, 2011

जवानी जा चुकी, जाने कहाँ है !
तम्मानाएँ अभी तक भी जवाँ हैं !!
हाँ सब-कुछ समझ आने लगा है !
जो चाहो वो नहीं मिलता यहाँ है !!
खुदा का हमशक्ल बेशक है बंदा !
खुदा हर दिल में करता घर कहाँ है !!
जो सब में है बसा जाने वो इक दिन !
जिस्म को छोड़ के जाता कहाँ है !! 

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