Thursday, March 3, 2011

वलवले

अनोखा इक तजुर्बा कर रहा हूँ ! मगर मैं दिल ही दिल में डर रहा हूँ !!
किये अपने पे पछताना पड़े ना  ! बिछुड़ अपनो से हुई जाना पड़े ना !!
मैं रुसवाई को शायद सह सकूं ना ! मैं हाल-ए-दिल भी शायद कह सकूं ना !!
मेरे मौला कभी वो दिन ना आये ! मेरा ईमान हो छिन्न -भिन्न ना जाए !!
मेरी मुश्किल को तुम आसान करना ! ना दिल टूटे मेरा, एहसान करना !!
मैं ज़ज्बों पे भरोसा कर रहा हूँ ! मैं बाहों में समंदर भर रहा हूँ !!  

No comments:

Post a Comment