Thursday, March 24, 2011

चमचा

जब से चमचा चलन में आया है |
 कुछ नयापन सा वतन में आया है ||
बे-हयाई व बेईमानी को, होश्यारी में जब मिलाया है |
तब कहीं जा के आज का इन्सां, खुद को चमचा कहाने पाया है ||
खूब नुसखा यह हाथ आया है, हमने चमचों से दिल लगाया है |
रंग लाई है, उल्फत-ए-चमचा ,हम पे अब,बरकतों का साया है ||
जिसकी ख़्वाबों में न तवक्को थी, होश में, हाथ सब वो आया है |
मात दी है, चिराग के जिन को,डोमव चमचे ने वो लगाया है ||
आँख वालों को, अक्ल का अँधा, आज चमचों ने ही बनाया है |
मूर्खों की इजाद है चमचा, आज-कल जिसपे, हसन आया है||
जब से मशहूर हो गया चमचा, हर कोई उसका चाचा. ताया है |
देख कर रह गया 'शशि' हैराँ,चमचा क्या खूब, चमचमाया  है || 
     

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