Friday, June 10, 2011

शोर-ए-दिल

बहुत बेचैन और बेबस किया है |
मेरे अपनों ने मुझको डस लिया है |
जिसे पलने से, चलने तक सिखाया |
उसी ने आज, मुझको है रुलाया ||  
बहुत हैरान हूँ की इस उम्र में 
खुदा ने किस, खता का फल दिया है || मेरे अपनों ने मुझको डस लिया है 
मुझे उम्मीद थी, कंधे की जिससे |
कमर मेरी में उसने, बल दिया है || मेरे अपनों ने मुझको डस लिया है 
मैं ऐसी ज़िन्दगी से, खुश नहीं हूँ |
जिसे साँसों ने ही, घायल किया है ||मेरे अपनों ने मुझको डस लिया है 
'शशि' रोने से कुछ हासिल न होगा |
तुझे किस्मत ने शोर-ए-दिल दिया है ||मेरे अपनों ने मुझको डस लिया है 








मेरे अपनों ने मुझको, छल लिया है |

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