तिनका हूँ शहतीर नहीं हूँ ! जिंदा हूँ तस्वीर नहीं हूँ !!
टूट रहा हूँ, धीरे-धीरे ! मैं पुख्ता तामीर नहीं हूँ !!
हैरत से, मत देखो मुझको ! घायल हूँ मैं तीर नहीं हूँ !!
ख्वाब किसी का हूँ मैं शायद ! ख्वाबों की ताबीर नहीं हूँ !!
मेरा होना है, सच्चाई ! पानी पर तहरीर नहीं हूँ !!
कतरे का भी, इक हिस्सा हूँ ! कल-कल करता, नीर नहीं हूँ !!
शायद, मरहम नहीं हूँ लेकिन ! चोट नहीं हूँ, पीर नहीं हूँ !!
'शशी' हमेशा है यह कहता, कर्म हूँ मैं, तकदीर नहीं हूँ !!
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