Wednesday, November 10, 2010

shoredil

इस तरह तर्के-ताल्लुक का,हुआ है वाक्यात !
न भुला पाउँगा शायद, वाक्या, यह ता-हयात !! न भुला
उम्र भर के साथ की, कसमों का, होगा यह हश्र !
हम बिछड़ जायेंगे जल्दी, कुछ न थी इसकी खबर !!
देखनी तंहा पड़ेगी, मुजको अब यह कायनात ! न भुला
भूल जाऊँगा उसे, मुमकिन मुझे लगता नहीं !
कोई भी जलवा जहाँ का, अब मुझे जँचता नहीं !!
और ज्यादा हो गयीं हैं, ज़िन्दगी की मुशक्लात !!  न भुला 

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