Sunday, November 21, 2010

shoredil

अपने ख्याल में, वो मुझे, मत दे गया ! सावन वो मेरी, आँख को, सौगात दे गया !!
एहसान कर गया है, या खैरात दे गया ! जिसकी सुबह नहीं, मुझे वो रात दे गया !!
मेरे आँखों के सावन से, तो अब सावन भी जलता है !
इन्हें बरसों बरसना है, यह कुछ अर्सा बरसता है !!
बहुत कम ही,फर्क पाया, मेरी नज़रों ने दोनों में !
यह इक रफ़्तार से बरसे, वो थम-थम के बरसता है !!
कभी सावन की इक बारिश, हंसी में उनसे मांगी थी !
मुकद्दर अब 'शशि' अक्सर, हंसी मेरी पे हंसता है !!

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