खूब मुनसिब ने मुन्सफी की है1 आज इन्साफ को सजा दी है 11
उसकी मजबूरियाँ रही होंगी1 उसने जो होश में खता की है 11
होश्यारी या बे-ख्याली में1 उसने इख्लाक से, जाफा की है 11
हक की बातों में, कुछ नहीं रखा 1 बात ये कर के सच दिखा दी है ११
भूल मेरी थी, भूल बैठा था 1 सारी दुनियाँ नहीं 'शशि' सी है 11
No comments:
Post a Comment