Shoredil
Monday, November 1, 2010
shoredil
बड़ी मुश्किल से आज़ादी मिली है !
तखय्यल की हसीं वादी मिली है !!
भटकता ही रहा हूँ आज तक मैं !
हाँ अब बसने की आज़ादी मिली है !!
अभी सेवा- निवर्त हुआ हूँ !
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