Monday, November 15, 2010

shoredil

गिरह कैसी हो खोल लेता हूँ !
गम, ख़ुशी दे के, मोल लेता हूँ !!
अब तो, आदत है, बन गयी मेरी !
बोल होंठो पे, तोल लेता हूँ !!

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