बन्दा हूँ भगवान् नहीं हूँ, पत्थर का इंसान नहीं हूँ !
वक़्त के साथ बदल सकता हूँ, कोई वेद-पुराण नहीं हूँ !!
मैं भी गलती कर सकता हूँ, धर्म नहीं हूँ, ज्ञान नहीं हूँ !
हर्फ़ हूँ मैं मिट, मिट जाने वाला, गीता नहीं, कुरआन नहीं हूँ !!
बुरा लगे जो आँख किसी को, ऐसा कोई निशान नहीं हूँ !
सीख रहा हूँ रस्मे ज़माना, इतना भी अनजान नहीं हूँ !!
अपने से मत बहतर समझो !
शशि हूँ आसमान नहीं हूँ !!
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