Wednesday, May 18, 2011

शोर-ए-दिल

आईने को हम हमेशा, दोस्त थे समझा किये |
ज़िन्दगी में, आईने ने, जब दिए धोखे दिए ||
आईने से, ही थे कहते, जब भी दिल था टूटता |
आईने ने, हमको समझा, फिर नए नुस्खे दिए ||
आज-तक समझे नहीं हम, आईने की चाल को |
जब भी नाकामी मिली, तकदीर से, शिकवे किये ||
आईने के रु-ब-रु होना, अक्लमंदी नहीं |
आईने ने अक्ल पर, लगवा सदा, पहरे दिए ||
डालना न आईने की, आँख में आँखें 'शशि' |   
आज तक मायूस लाखों, आईने ने हैं किये ||      

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