ज़िन्दगी जी के तुझको देखा है, अपनी यारी बड़ी पुरानी है |
बेवफा है तू, ये हकीकत है, तेरे रहते ही मौत आनी है ||
जिसको अपने पे ऐतबार नहीं, उसने सबसे फरेब खाया है |
सिलसिला साँस आने जाने का, न किसी की समझ में आया है ||
देख के भी यकीं नहीं होता, एक खालिक ने सब बनाया है |
कोई भी ये बता नहीं सकता, कितना खोया है, कितना पाया है ||
No comments:
Post a Comment