Wednesday, May 18, 2011

दोहे

लूट-लूट घर भर लिए, याद न कीन्हें नाथ |
जग से जब जाना पड़ा, कुछ न ले गए साथ ||  

वक़्त से आगे दौड़ लें, लागी है ये होड़ |
सीख लिए प्रपंच सब, दया-धर्म को छोड़ ||   

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