Monday, May 30, 2011

न कहना ये की, मैं पागल हुआ हूँ |
मैं अपने हाथों से घायल हुआ हूँ ||

प्यार यूँ आज़माया जाता है |
खूब खुद को सताया जाता है ||
खून के आंसू रोने पड़ते हैं |
ज़ब्त दिल को सिखाया जाता है ||

Saturday, May 28, 2011

वलवले

ज़िन्दगी जी के तुझको देखा है, अपनी यारी बड़ी पुरानी है | 
बेवफा है तू, ये हकीकत है, तेरे रहते ही मौत आनी है ||

जिसको अपने पे ऐतबार नहीं, उसने सबसे फरेब खाया है |
सिलसिला साँस आने जाने का, न किसी की समझ में आया है || 
देख के भी यकीं नहीं होता, एक खालिक ने सब बनाया है |
कोई भी ये बता नहीं सकता, कितना खोया है, कितना पाया है ||

Saturday, May 21, 2011

वलवले


देख के जब, हालात ज़हाँ के, मैं घर आता हूँ |
अपनों में भी, अपने को मैं, तन्हा पाता हूँ ||
रिश्तों की असलियत जब से, सामने आई है |
रिश्ते नए बनाने से भी, मैं कतराता हूँ ||  

वलवले

हकीकत को बयाँ, करने लगा हूँ |
फ़िक्र में, डूबने-तारने लगा हूँ ||
बुढ़ापे से मैं, डरने लग गया हूँ |   
दुआ अल्लाह से, करने, लग गया हूँ ||
मुझे मोहताज़ न करना, ज़हाँ का |
सफ़र बेशक, ख़तम करना, यहाँ का ||
मुझे फर्जों से, फ़ारिग कर दिया है |
मेरा दामन, सुकूँ से, भर दिया है ||
चला जाऊँ, ज़हाँ से, चलते-फिरते ||
पड़े जीना कभी न, गिरते-पड़ते ||
'शशि' को इतनी ही, बस ज़िन्दगी दे |
 कभी न हो उसे, शिकवा किसी से ||     







Wednesday, May 18, 2011

दोहे

लूट-लूट घर भर लिए, याद न कीन्हें नाथ |
जग से जब जाना पड़ा, कुछ न ले गए साथ ||  

वक़्त से आगे दौड़ लें, लागी है ये होड़ |
सीख लिए प्रपंच सब, दया-धर्म को छोड़ ||   

शोर-ए-दिल

आईने को हम हमेशा, दोस्त थे समझा किये |
ज़िन्दगी में, आईने ने, जब दिए धोखे दिए ||
आईने से, ही थे कहते, जब भी दिल था टूटता |
आईने ने, हमको समझा, फिर नए नुस्खे दिए ||
आज-तक समझे नहीं हम, आईने की चाल को |
जब भी नाकामी मिली, तकदीर से, शिकवे किये ||
आईने के रु-ब-रु होना, अक्लमंदी नहीं |
आईने ने अक्ल पर, लगवा सदा, पहरे दिए ||
डालना न आईने की, आँख में आँखें 'शशि' |   
आज तक मायूस लाखों, आईने ने हैं किये ||      

Sunday, May 15, 2011

वलवले

खुदा पहले है, तय करता, कहाँ, कब, किसका दम निकले |
सित्म जिसको कहे दुनियाँ, खुदा के वो करम निकले ||
शुब्हा होने लगा है, दोस्तों पे, दुश्मनों सा जो |
खुदा से है दुआ इतनी , कि वो मेरा भर्म निकले || 
जिन्हें ता-उम्र, अपना मानने से, मैं था कतराता |
मुसीबत जब, पड़ी मुझ पर, वो मेरे हम-कदम निकले ||
नहीं एहसास होता कुछ, कि दिल जिस्म जैसा है | 
अगर काटें,नहीं मुम्किन, ख़ुशी टपके या गम निकले || 
सजा से कम नहीं है,ज़िन्दगी, ईनाम मत समझो |
ये दुनियाँ छोड़ जानी है, सभी को, जब भी दम निकले ||
ख़ुशी जो मेरी किस्मत में, लिखी हो, गम में न बदले |
नहीं लालच कि ज्यादा हो, वो बेशक, कितनी कम निकले ||
संभल कर दोस्ती, खुद से, 'शशि' करना, नसीहत है |
ज़फाओं के मुक़ाबिल में, वफ़ा थोड़ी सी कम निकले ||



Saturday, May 14, 2011

वलवले

परिंदों की तरह, उड़ने की चाहत, सब में होती है |
मिले गर प्यार, तो पैदा मुहब्बत, सब में होती है ||
कभी ज़ालिम नज़र आये, कभी मज़लूम लगता है |
सब्र और ज़ब्त की देखा है, ताकत सब में होती है ||
ख़ुशी से फूल जाता है, ग़मों से टूट जाता है |
खुदा का ही करिश्मा है, ये आदत सब में होती है ||
नफे की फ़िक्र करता है, रहे नुक्सान से डरता |
रफीकों को परखने की, लियाकत सब में होती है ||
सिर्फ तुम ही नहीं वाकिफ, 'शशि' रस्म-ए-ज़माना से |
ज़माने को समझने की, दयानत सब में होती है ||

Friday, May 13, 2011

शोर-ए-दिल

में ले तो मोल लूँ, कुछ वक़्त लेकिन, 
है दिक्कत ये की, यह बिकता नहीं है ||
वो मिलने को, तरसता आजकल है |
सुना, जिसका था की, मिलता नहीं है || 
बहुत लौटे हैं, तूफाँ से उलझ के | 
भंवर से तो, कोई बचता नहीं है ||
गरीबों को, हिकारत से, न देखो |
खुदा दूजी जगह, बस्ता नहीं है || 
कमाया जो ज़हाँ से, खा लिया सब |
कुछ अब खाते में तो, बचता नहीं है ||
  है देखा टूटता, न झुकाने वाला |
जो कहता था की, वो झुकता नहीं है ||
बहुत कहते थे, मर जायेंगे, तुम-बिन | 
हकीकत में, कोई मरता नहीं है ||   



Thursday, May 12, 2011

शोर-ए-दिल

स्याही, रात-दिन, तारी है हर सू |
अक्ल वालों ने, अँधेरा किया है ||
वहाँ इन्साफ के, कातिल हैं पलते |
सियासत ने जहाँ, डेरा किया है ||
हुआ मजबूर, खामोशी को हर इक |
यकीनन, ज़ुल्म ने, फेरा किया है ||
सिमटती जा रही, अब हर ख़ुशी है |
ग़मों ने जब से, तंग घेरा किया है ||
'शशि' से है शिकायत, हर किसी को |
बयाँ क्यूँ हाल सब, मेरा किया है || 

Wednesday, May 11, 2011

शोर-ए-दिल

म न जाने कब तेरी, महफ़िल से उठ जायेंगे अब |
फिर न जाने कब बनेगा, फिर से मिलने का सबब ||
क्यूँ बिछुड़ने की सजा, मिलती है अक्सर प्यार में |
क्यूँ लिखी है जीत  के संग, हार भी संसार में ||
कैसे-कैसे आदमी को, ख्वाब दिखलाता है रब्ब |
याद मत रखना कभी, हम भी तेरे हमराह थे |
वक़्त की साज़िश के सदके, हो गए गुमराह थे ||
हाल-ए-दिल नज़रों से मत, कहना अगर बोलें न लब | 
ज़िन्दगी शायद ही मौका दे, की हम फिर से मिलें  |
दूर होने चाहिए, इस वास्ते, शिकवे-गिले || 
मुस्करा के अलविदा कहना, 'शशि' से सब के सब | 

Monday, May 9, 2011

 जो बेशर्मी से, मुझ पे हँस रहा था |
सुना, घर जा के वो, रोया बहुत है ||
गिना करता है जो, रातों को तारे |
सुना वो उम्र भर, सोया बहुत है ||
कभी पूछो की, पाया क्या अमीरों |
कहेंगे पाया कम, खोया बहुत है ||
नहीं जाता है क्यूँ, ये दाग यारो |
इसे रगडा बहुत, धोया बहुत है || 
ख़ुशी उसको कहाँ, तस्कीन देगी |
हमेशां जिसने दुःख, बोया बहुत है ||
बचे कितना भी कम, दे दो 'शशि' को |
उसे तो, कम से कम, गोया बहुत है ||  

Sunday, May 8, 2011

शोर-ए-दिल

खुद को खुद, बहला लेता हूँ | 
अपना काम चला लेता हूँ ||
ज़ख्म तो क्या नासूर भी दिल के | 
प्यार से में सहला लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||  
भूलीं-बिसरीं यादों को में |
अपने पास बुला लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
हँस के अपने अश्कों को में |
पलकों बीच, छुपा लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
देख के अपनी हालत खुद ही |
अपने पे मुस्का लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
खाकर चोट 'शशि' कहता है |
नगमा एक बना लेता हूँ ||   अपना काम चला लेता हूँ ||

शोर-ए-दिल

मुझे खा रहा, ये मलाल है |
है ये हिज्र-ए-गम, या विसाल है ||
इस कशमकश में, है ज़िन्दगी |
क्या ज़वाब है, क्या स्वाल है ||
मुझे चाहियें, तन्हाईयाँ |
दिल बोझ-ए-गम से, निढाल है ||
मुझे इस ज़हान ने, वफ़ा न दी |
मेरे दिल को, इसका मलाल है ||
सब अपनी-अपनी फ़िक्र में हैं |
यहाँ साँस  लेना, मुहाल है ||
'शशि' तू तो, काट न पायेगा |  
ये जो ज़िन्दगी का, बवाल है ||    
खुद को खुद, बहला लेता हूँ | 
अपना काम चला लेता हूँ ||
ज़ख्म तो क्या नासूर भी दिल के | 
प्यार से में सहला लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
भूलीं-बिसरीं यादों को में |
अपने पास बुला लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
हँस के अपने अश्कों को में |
पलकों बीच, छुपा लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
देख के अपनी हालत खुद ही |
अपने पे मुस्का लेता हूँ ||अपना काम चला लेता हूँ ||
खाकर चोट 'शशि' कहता है |
नगमा एक बना लेता हूँ ||   अपना काम चला लेता हूँ ||