Tuesday, November 23, 2010

शोर-ऐ-दिल

रिश्ते, जीने को कहते हैं ! रिश्ते नए बना कर देखो !!
अश्कों का, न स्वाद बदलता ! रो कर देखो, गा कर देखो !!
खुद को खुद, बहला कर देखो ! सोच के दीप जला कर देखो !!
हैरत में, सब पड़ जाओगे ! थोडा सा गम खा कर देखो !!
जो होता है, अच्छा होता !दिल को यह समझा कर देखो !!
रिश्तों को, बिल्कुल मत परखो ! नुस्खा यह अजमा कर देखो !!
तारीखी, न कहीं मिलेगी ! सोच के दीप जला कर देखो !!
तपती धुप से बच जाओगे ! खुद को छावँ बना कर देखो !!
हर दिन ही दिवाली होगी !खुशियाँ जरा लुटा कर देखो !!
राहत सी महसूस करोगे ! तन्हाई में जाकर देखो !!
मायूसी, न हाथ लगेगी !पास 'शशी' के आकर देखो !!  
 

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