Sunday, November 28, 2010

आते-आते बेवफा का, ज़िक्र लब पर रह गया !
मुझको कहना और कुछ था, और कुछ मैं कह गया !!
बेवफा निकला था मुंह से, मुंह मेरा ताकने लगे !
शर्म से आँखें झुका लीं, बज़्म से उठने लगे !!
मैंने बदली बात, रुख उनका बदल के रह गया !मुझको कहना और कुछ था, और कुछ मैं कह गया !
रूबरू उनके था मैं, और वो थे मेरे रूबरू !
शर्त थी आँखों ही आँखों, से करेंगे गुफ्तगू !!
आँख मिलते उनसे, मेरा दिल, धड़क के रह गया !मुझको कहना और कुछ था, और कुछ मैं कह गया !
उनको कहों के, खुश नहीं मैं, खुश हैं वो, लगता नहीं !
मेरी तरह उनको भी, शायद कोई जंचता नहीं !
था 'शशि' उफनता सागर, लहर बन के रह गया ! मुझको कहना और कुछ था, और कुछ मैं कह गया

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