Wednesday, November 24, 2010

शोर-ए-दिल

बाद मुद्दत के, अचानक जब मिले १
लाख चाहा, लब न थे, फिर भी हिले ११
दो दिलों की गुफ्तगू होने लगी १
आँखों-आँखों ने किये शिकवे-गिले ११
देखने वाला था इक मंजर बना १
दरम्याँ थे दो दश्क के फासले ११
किस कद्र गुजरी नहीं पूछा गया १
क्या हुआ, यादों के जो थे फासले ११
शोर-ऐ-दिल उनसे 'शशि' अब तो कहो १
थे जहाँ बिछड़े, वहीँ पर हैं मिले 11

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